पत्तों में नहीं हलचल बहती कोई बयार नहीं




पत्तों में नहीं हलचल बहती कोई बयार नहीं
स्याह अस्मा मेरा सूरज उगने को तैयार नहीं
धडकनों ने बहलाया बरगलाया और क्या दिया
किस्मत का तमाचा रहा मेरे हिस्से में प्यार नहीं

: शशिप्रकाश सैनी 

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