चाल में चंचल रही

My 1st attempt at Sonnet



चाल में चंचल रही 
रस घुले जब बोलती 
धडकनों हलचल रही 
किवाड़ दिल के खोलती 

खिड़कियो में जब खड़ी
रास्ता वो हो गया 
आँखों से आंखे लड़ी
मै उन्ही में खो गया 

कॉल पे अब कॉल जी 
जानेजा डार्लिंग हुई
मै हुआ बेहाल जी
जब भी वो रोमिंग हुई

मै सुखी जमी वो मौसम-ए-बरसात है
धडकनों में धड़कने वो दिल-ए-ज़ज्बात है 

: शशिप्रकाश सैनी 

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