बादलो मे खुदा आ रहा है



आपकी हर तस्वीर मे कुछ नया सा है
अब के बादल लाए है
जानते है मन प्यासा है
कड़ी धूप छानता है
तपिश से राहत लाया है 
बादल मन जनता है
अब बरशा भी दो 
तरसाओ ना खेल दिखाओ ना
ऐ खुदा तू भी अजब है 
खेल तेरे गज़ब है 
सूरज से सताता है
मरहम लगाने बदलीया ले आता है 
तुझ से बेहतर कौन जनता है 
तू तो सबका मन जनता है
आज धूप रोकी है 
कल बरसात देगा 
खुश रहेगा तो 
हर दिन नयी सौगात देगा
इसकी नाराजगी न आए सर पे मेरे 
गुनाह करोगे तो सजा देगा
बारिश नहीं 
तूफा लाएगा 
बिजलीय देगा 
हर गुनाह पे बराबर सजा देगा 
आज जन्नत की रोशनी दिखा रहा है
जान लीजिये 
अबकी बरसात मे खुदा आ रहा है
भूझाने प्यास दुनिया की
वो चला आ रहा है 

: शशिप्रकाश सैनी 

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