दरिंदगी बेखौफ है
Photo Courtesy: TOI ये हुआ क्यू इंसा की खाल मे भेड़िये समा गए पहले की छीटाकसी फिर नोचने पे आ गए क्यू क्यूकी डर नहीं है जानते कुछ करलो होना कुछ असर नहीं है कानून का डर था नहीं भीड़ से कुछ होना नहीं यू भीड़ मे छुपेंगे और जमीर न जग पाएगा हर रेंगता कीड़ा नोचेगा काट खाएगा आज का कीड़ा कल जानवर हो जाएगा आज फिक्र नहीं की कोई और है कल होगी बहन बेटी बहू घर की हर कीड़ा जानवर हो जाएगा क्या हालत हो जाएगी शहर की वर्दी के भरोसे क्यू रहना वर्दी काम नहीं करती बस लूटने मे आराम नहीं करती वर्दी काम नहीं करती जो रक्षक हो गया भक्षक वो क्या बचाएगा अब की कोई कान्हा न आएगा गर गुंडई को हद मे लाना था आम आदमी को अपना हथियार उठना था दुनिया को बताना था भीड़ की ताकत है क्या जूते चप्पल औजारा थे उठाना था चलाना था सजा लाठी गोलियो से बड़ी हो जाएगी जनता जब चप्पल चलाएगी गर भीड़ थी दोषी तो आप भी निर्दोष ना जूते चप्पल आपके भी चलने...