दरिंदगी बेखौफ है
ये हुआ क्यू
भेड़िये समा गए
पहले की छीटाकसी
फिर नोचने पे आ गए
क्यू क्यूकी डर नहीं है
जानते कुछ करलो
होना कुछ असर नहीं है
कानून का डर था नहीं
भीड़ से कुछ होना नहीं
यू भीड़ मे छुपेंगे
और जमीर न जग पाएगा
हर रेंगता कीड़ा
नोचेगा काट खाएगा
आज का कीड़ा
कल जानवर हो जाएगा
आज फिक्र नहीं की कोई और है
कल होगी बहन बेटी बहू घर की
हर कीड़ा जानवर हो जाएगा
क्या हालत हो जाएगी शहर की
वर्दी के भरोसे क्यू रहना
वर्दी काम नहीं करती
बस लूटने मे आराम नहीं करती
वर्दी काम नहीं करती
जो रक्षक हो गया भक्षक
वो क्या बचाएगा
अब की कोई कान्हा न आएगा
गर गुंडई को हद मे लाना था
आम आदमी को
अपना हथियार उठना था
दुनिया को बताना था
भीड़ की ताकत है क्या
जूते चप्पल औजारा थे
उठाना था चलाना था
सजा लाठी गोलियो से
बड़ी हो जाएगी
जनता जब चप्पल चलाएगी
गर भीड़ थी दोषी
तो आप भी निर्दोष ना
जूते चप्पल आपके भी चलने थे
पर चलता रहा बस कैमरा
कर बहाना कर्म का
धृतराष्ट्र आप हो गए
द्रौपदी लुटती रही
कैमरे की आड़ मे
मानवता गई भाड़ मे
वो तो दरिंदे थे
करते रहे दरिंदगी
पर इन्सानो मे
मैंने इंसानियत देखी नहीं
भीड़ सब चुप रही
भीड़ के लिए तमाशा था
आपके लिए टीआरपी
और बच्ची नोची गई
भीड़ की आड़ मे
छुपने लगा है आदमी
बहन माँ बेटियाँ
सड़कों पे उसे दिखती नहीं
जब तक भीड़ मे
बहन बेटियाँ न दिखेंगी
दरिंदगी कैसे थमेगी
: शशिप्रकाश सैनी
यू भीड़ मे छुपेंगे
ReplyDeleteऔर जमीर न जग पाएगा
हर रेंगता कीड़ा
नोचेगा काट खाएगा
आज का कीड़ा
कल जानवर हो जाएगा ....
मार्मिक......
ReplyDeleteमन व्यथित हो गया आपकी रचना पढकर...
बेहतरीन लेखन.
अनु
कानून भी चुप और भीड़ का कानून भी नहीं चला
Deleteशर्मनाक घटना
इंसानियात लज्जित हुई
Pata nahi duniya kis aur ja rahe hai. bahut sateek likha hai aapne.
ReplyDeleteबस नेक नियत नहीं
Deleteलोगो को बल का जवाब बल से देना होगा
Nice poem, Shashi. I think we have a thread on Indiblogger also where discussion is going on similar lines as suggested by you in your poem.
ReplyDeletethnx TF
Deletewell expressed thots shashi..indeed a sad situation !
ReplyDeleteआंखे फेरने से बुरे ख़त्म नही होती
Deleteबुरे से जूझान पड़ता है तब हालत बदलते है
Abh kavita bhi auzaar ho gaya! Par keede aur jaanwar se in logon ka tulna karke keede aur janwaron ko apne lajjit kar diya
ReplyDeleteसही कहा कीड़ो और जानवरों को भी लज्जा आजाए
DeleteHard hitting one...!! Very well penned, Shashi..
ReplyDeleteशर्म और गुस्सा ये दोनों भाव प्रबल है इस समय
DeleteVEry true sir.. SO VERY TRUE.. you have jsut expressed the same emotions that I am going through..
ReplyDeletepeople are blaming the 12 who did this act but the worse are the ones who stood there and watched the show
and those who are enjoying the videos of the girl.. has she not been insulted enough ..
Lets hope mankind takes a turn for good
Open letter to all Indians -Bikram's