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एक मुट्ठी रेत की

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Saishyam and Arun Photography जमीं अब सरहदों में है आसमां मेरी हदों में है नदिया बांध सकता हूँ मैं  चाँद कदमो में है जो तुने बनाई थी दुनिया  आज मैंने जीत ली  मौत इशारे पे मेरे  पैरों में मेरे जिंदगी  खुदा होने लगा हूँ  बंदे करेंगे बंदगी  एक हाथ रखता हूँ मौत  दूजे में भरी है जिंदगी  रातो को दिन किया मैंने  इतनी भरी है रोशनी  बाटता हूँ गम  बाटता हूँ  खुशी  खुदा होने लगा हूँ  बंदे करेंगे बंदगी  मेरे अहंकार पे  बस उसने यही भेट दी एक मुट्ठी रेत की  मेरी तरफ फेंक दी कहा उसने  बांधलो इसे चल दो अभी गर एक चुटकी रेत भी  रास्ते में ना गिरे खुदा मैं भी कहूँगा  और मैं भी करूँगा बंदगी  शहर जीते थे मैंने जीते थे घर कई  पर एक मुट्ठी रेत भी मेरे हाथो में ना रह सकी  खुदा होने की जिद  उसने कइयों की दफ्न की एक मुट्ठी रेत की  मेरे अहं पे डाल दी  गलतियों की सजा बराबर है दी जिस...