बीएचयू है भाया



मालवीय जी की प्रतिमा
उनके संदेश
धन की गरीबी
वो मन की अमीरी
बीएचयू को बनाया लाखो मे एक
उनके संदेश
अचंभित था देश   
बीएचयू है भाया बीएचयू है भाया

कविता लिखी काइयो को सुनाया
रग रग मे देखो मेरे अब आया
बीएचयू है भाया बीएचयू है भाया

दिल की हर धड़कन
धड़कन मे समाया
फूलो की खुशबू
और बारिश की बुँदे
आंखे जब भी मूँदे
तो आंखों मे आया
बीएचयू है भाया बीएचयू है भाया

वो चाय की चुस्की
वो फ़ैकल्टि का गेट
मैत्री जाना आलू चाप प्लेट
भुट्टा चबाना और बाते बनाना
वो मधुबन जाना
धड़कन सुनना सुनाना
बीएचयू है भाया बीएचयू है भाया

लिंबड़ी की शान
समोसा दुकान
मित्रो के झुंड मे सीना तान
पहुचे दुकान
कुछ कुछ का है रोज बहाना
बाइक दौड़ना
पीछे बिठाना
गुप चुप है देखो आइस क्रीम खिलाना
फिर बाते बनाना
बीएचयू है भाया बीएचयू है भाया

: शशिप्रकाश सैनी

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी