कल को पेड़ होना हैं



हम पौधे हैं
कल को, पेड़ होना चाहते हैं
बरगद की, पीपल की
कहानियां सुनते हैं
नए ख्वाब बुनते हैं

कैसे लड़ा था, मूसलाधार बरसात से
दिन के इंतजार में
उलझता हैं घनी रात से
कितने आंधी तूफान झेला हैं
अपनों के लिए, मुसीबतों से खेला हैं
संकट परे धकेला हैं

कुछ पेड़ हैं, आम के
अमरूद के, अनार के
माटी और पानी लेते हैं
ज़िंदगी की धूप झेल
फल बना देते हैं
राहगीरो के लिए मिठास हैं
गुठलियों मे भविष्य की आश हैं
हर पेड़ अपने आप मे ख़ास हैं

नीम बदनाम होता
   की कड़वाहट देता हैं   
कड़वाहट इसकी औषधि हैं
जाने कितनी बीमारिया हर लेता हैं
लोग कहते की नीम कड़वाहट देता हैं
नीम मौसमी ना
पूरे बरस साथी ज़िंदगी का

भविष्य से, आशाएँ बनी रहे
ज़रूरी हैं, पौधो को
माटी, धूप, पानी रहे
आज के पेड़ो से सीखना हैं
कल को पेड़ होना हैं


: शशिप्रकाश सैनी 


//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
यहाँ Free ebook में उपलब्ध 

Comments

  1. Nice poem :) Although it took me time to understand most of the words. Loved your poem anyways

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको कविता अच्छी लगी इसका धन्यवाद हरिचरन जी

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी