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पत्थरों पे प्रेम के फूल न होंगे

पत्थरों पे प्रेम के फूल न होंगे बेवजह पानी खाद न दे   वो बेदिली की तस्वीर है सर न झुका कोई फ़रियाद न दे   सुना दिल का हर कोना रहा उसका होना भी न होना रहा   जहन में उसे बसाना भी क्या याद करने को याद न दे   : शशिप्रकाश सैनी

पत्तों में नहीं हलचल बहती कोई बयार नहीं

पत्तों में नहीं हलचल बहती कोई बयार नहीं स्याह अस्मा मेरा सूरज उगने को तैयार नहीं धडकनों ने बहलाया बरगलाया और क्या दिया किस्मत का तमाचा रहा मेरे हिस्से में प्यार नहीं : शशिप्रकाश सैनी 

एक वही तस्वीर और जीना वही दुस्वार था

एक वही तस्वीर और जीना वही दुस्वार था जिसे देखना बेकार था जिसे चाहना बेकार था  अक्ल कब से कह रही  फाड़ो टुकडे  टुकडे करो दिल है की सुनता नहीं तस्वीर बस निहारता  : शशिप्रकाश सैनी 

दोहे : मात पिता मोती रहे

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Photo Courtesy: Law is Greek माँ की ममता है बड़ी , दस दस बेटे पाल बेटो से ना हो सका , माँ का करे खयाल बाल मेरा बलवान हो, खाले सब पकवान माँ को अब रोटी नहीं, मिलता बस अपमान  पापा का प्यारा रहा, कंधो झूला झूल  बीज आम का देखिये, होने लगा बबूल प्यार ममता जोड़ जोड़, घर था जिसे बनाय अपनों ने धोखा दिया, बुढा किस दर जाय जड़े न अपनी खोदिये , तना तना रह जाए  माटी लगे है छुटने, किसको देगा छाय मात पिता मोती रहे, कैसे दे हम खो हाथ रहे सर पे मेरे, हर घर ऐसा हो  : शशिप्रकाश सैनी  //मेरा पहला काव्य संग्रह सामर्थ्य यहाँ Free ebook में उपलब्ध  Click Here //

अब नहीं फुर्सत कोई वो धडकनों मे हो गयी

  अब नहीं फुर्सत कोई वो धडकनों मे हो गयी दिन अठखेलिया हुई रात बहो मे सो गयी प्यार पे टूटा मेरे जज़्बात सारे ले गया छोड़ के दुनिया चली वो आँसुओ भिगो गयी : शशिप्रकाश सैनी

कब तक मचलते अरमान देखू

कब तक मचलते अरमान देखू सर उठाऊ खाली आसमान देखू मेरा चाँद अब तक अमावस मे है ज़िंदगी कितने तेरे इम्तिहान देखू : शशिप्रकाश सैनी

एक रात हिम्मत हुई और मैंने कह दिया

एक रात हिम्मत हुई और मैंने कह दिया धड़कने कुछ कह रही कर गौर मैंने कह दिया मेरे हाँ पे हाँ हो गई वो मेरी दुनिया हो गई धड़कने तेरी हुई तू शिरमौर मैंने कह दिया : शशिप्रकाश सैनी