अठन्नी चवन्नी




लोकल के धक्के और मेट्रो की भीड़
दफ्तर मे खटता है पीटे लकीर
टाई और बूट पूरा है सूट
मैनेजर जी निकले
घर पहुचे फकीर
खट खट के जीता
घुट घुट के जीता
और ज़ेबो मे क्या है
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

बिजली का बिल है
मुनिया की फीस
पेट्रोल डलाए  राशन भराए
बीवी भी बोले की अब मैके जाए 
और ज़ेबो मे क्या है
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

आलू है भालू
टमाटर की टीस
लहसुन और कांदा
हुआ सब से वांदा
बच्चे कहते संडे को है आना
तो मुर्गा ही लाना
और ज़ेबो मे क्या है
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

साबुन कंघी लाली लिपिस्टिक
मेकअप के खर्चे
 और घर मे है झिकझिक 
बीवी जी मांगे बनारसी साड़ी
तनख्वा ने सारी फिर इज्ज़त उतारी
ज़ेबो मे ढूंढा तो क्या मैंने पाया
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

गर्मी है आई और छुट्टी है लाई
मुन्ना ने मुन्नी ने मांग लगाई
अब सैर कराओ दिल्ली दिखाओ
मुंबई घुमाओ
नानी और नाना
और दादी और दादा
घूमना यही नहीं इससे ज्यादा
की ज़ेबो मे क्या है
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

खेल खिलौने गुड़ा और गुड़िया
मांगे मेरा मुन्ना
मांगे मेरी मुनिया
अपने लिए था जो रुपया जुटाया
आंखो के तारो पे सब कुछ लुटाया
आसू न आए बच्चे मेरे हँसे 
और मुस्कुराए
मैंने लूटा दी सारी
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

अब मंत्री सिखाए
कैसे जिए हम कैसे खाए
जब मन मे आए वो रुपया बढ़ाए
मेहनत का पैसा है
खट खट कमाया
न बटोरा न लूटा न कही से चुराया
सड़कों पे आओ तभी जान पाओ
कैसे कमाते
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

ऐठे है बैठे
कुछ करते है नहीं है 
लेते है लाखो
एक रुपया बढ़ाने से इनका क्या हो
मेहनत की रोटी सच की कमाई
खून पसीने से मैंने उगाई
तब जाके ज़ेबो मे मेरे है आई
अठन्नी चवन्नी अठन्नी चवन्नी

: शशिप्रकाश सैनी 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी