सुभोरूप जी की पोटली
सुभो जी की पोटली खुली है
हिंदी मे थोड़े कमजोर है
पर हौसलों मे ज़ोर है
पर हौसलों मे ज़ोर है
नदी मुश्किलों की
सारी पार कर गए
कविताओ मे डूबे
हिंदी से प्यार कर गए
वैसे तो आप जानते होंगे
ये वो हलवाई है
जिनकी पोटली भरी है
हर वक़्त खुली है
नमकीन है मिठास है
हर वक़्त खुली है
नमकीन है मिठास है
इस पोटली का हर पकवान खास है
अगर ज्ञान की प्यास है
कुछ जानने की भूख
प्लेसमेंट के पचड़े से कैसे निकले
अपने सवाल लाइए
इनकी पोटली मे जवाब है
आज भी मुफ्त मे ज्ञान बाटते है लोग
ये हकीकत है
या कोई ख़्वाब है
सुभो जी आपकी
पोटली लाजवाब है
: शशिप्रकाश सैनी
Arre, Shashiji, you have turned me and the blog into the subject of your poetry. I am so thrilled and honored.
ReplyDeleteMy post is really a rootless person's tribute to those who have overcome all hurdles to blog poetry in Hindi and preserve our traditions in whatever way possible. I felt this was the least that I could do to contribute. I hope this will lead to greater discussion, adoption, and dissemination. I am truly grateful for your encouragement as I was thinking about this post. Thanks for the beautiful poetic introduction to the post too.
सर जी मेरी ताकत और कमजोरी दोनों ही कविता है
Deleteइसलिए शुक्रिया भी करने के लिए कविता का सहारा लिया मैंने
वाह क्या बात है,
ReplyDeleteखुबसूरत अंदाज है,
शुक्रिया बी किया तो कविता से,
वाके ही काबिले तारीफ है ..... :)
धन्यवाद जसमीत जी
Deleteबहुत बढ़िया शशि जी...
ReplyDeleteसुभो जी को कमाल का शुक्रिया अदा किया...
सुन्दर...
अनु