चल संडे मना
ऑफिस की मजबूरियां
ऑफिस छोड़ आ
घुट घुट के जीना है क्यों
चल संडे मना
दौड़े दौड़े थक गए
रुक जाए जरा
मै गाऊ गाना नया
धुन तू भी सुना
बाइक कब से कह रही
चल हाइवे पे चल
दौड़े सरपट हम ज़रा
कर थोड़ी हलचल
चल थोड़ा माहोल कर
ले नंबर ले कॉल कर
जेंटल मैन बनना नहीं
फिर पंटर बुला
मछली सारी मारने
पोखर मै चला
कीचड़ में खेला कूदा
बच्चा हो गया
धड़कन कब से कह रही
धड़कन की भी सुन
चल गाएं गाना नया
धुन चल तू भी बुन
: शशिप्रकाश सैनी
Aha! Aaj mauj manane ka mood hai :) Subah subah apne mood bhi sahi kar diye! Even though mera tho har roz sunday hi hai :)
ReplyDeleteसर जी आजकल अपना भी सन्डे ही चल रहा है
Deleteहॉस्टल में पड़े है कॉलेज चालू नही हुआ ठीक से
सुबह शाम कभी बी एच यू और कभी बनारस घाट घूम रहे है
A fun poem :)
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