दोहे : मात पिता मोती रहे




माँ की ममता है बड़ी , दस दस बेटे पाल
बेटो से ना हो सका , माँ का करे खयाल


बाल मेरा बलवान हो, खाले सब पकवान
माँ को अब रोटी नहीं, मिलता बस अपमान 


पापा का प्यारा रहा, कंधो झूला झूल 
बीज आम का देखिये, होने लगा बबूल


प्यार ममता जोड़ जोड़, घर था जिसे बनाय
अपनों ने धोखा दिया, बुढा किस दर जाय


जड़े न अपनी खोदिये , तना तना रह जाए 
माटी लगे है छुटने, किसको देगा छाय


मात पिता मोती रहे, कैसे दे हम खो
हाथ रहे सर पे मेरे, हर घर ऐसा हो 


: शशिप्रकाश सैनी 


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