ये आज का युवा हैं

आंधी हैं हवा हैं बंधनों में क्या हैं ये उफनता दरिया हैं किनारे तोड़ निकला हैं मस्ती में मस्तमौला हैं मुश्किल में हौसला हैं अपनी पे आजाए तो जलजला हैं ये आज का युवा हैं कभी बेफिक्री का धुआँ हैं कभी पानी का बुलबुला हैं कभी संजीदगी से भरा हैं ये आज का युवा हैं पंखों को फडफडाता हैं पेडों पे घोंसला बनाता है अब की उड़ना ये चाहता हैं दाव पे ज़िंदगी लगता हैं हारा भी हैं तो इसे जीतना भी आता हैं जर्रे से अस्मा हो जाता हैं ये आज का युवा हैं कभी इश्क बोतलों में नशा हैं कभी मै दिलजलो की दवा हैं कभी प्यार अस्मा से बरसा हैं जैसे खुदा की दुआ हैं ये आज का युवा हैं : शाशिप्रकाश सैनी