दोस्ती की कीमत लगाने लगे है



ये भी खूब रिश्ता दोस्ती से
टकराते है गलती से
बोल के मिलना है मिलना
मिलता नहीं है अब
बड़े आदमी है सब
मैं मिलने को तैयार रहता हूँ
उनको लगता है
इन दिनों बेकार रहता हूँ

जैसे ज़िंदगी मे सब उलझे है
मैं भी उलझा हूँ 
उलझने सुलझाता हूँ
तस्वीरों से धूल हटाता हूँ
कि मैं मिलना चाहता हूँ
यादे याद करेंगे
दोस्ती बनी रहे ये फरियाद करेंगे

पर दुनिया इतनी मतलबी है
मुझे भी मतलब मे देखती है
ऐसे दोस्तो का क्या किया जाए
दूर ही रहा जाए
लोग दोस्ती की कीमत लगाने लगे है
मतलब से आने
मतलब से जाने लगे है

: शशिप्रकाश सैनी 

Comments

  1. How true! There is a Oscar Wilde quote "A cynic is he who knows the price of everything but the value of nothing'. Jab har cheez ka daam hi jaanenge log tho amulya cheezon ka mol kaise pata chalega?

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