रानी घमंडी
उपहार मे सत्ता मिली
जमीन की नहीं
वो आसमान से उतरी
ढोंग ढोंग की देवी
कुछ कहते है चंडी
कुछ के लिए दुर्गा
मुझे तो बस डायन दिखी
जब भी ध्यान से देखा
वो थी रानी घमंडी
जेपी के नरो से
कुर्सी ऐसी हिल गयी
डायन इतनी घबराई
की लोकतन्त्र लील गयी
न्यायालय खा गई
अखबार सारे पचागाई
लोकतन्त्र बेड़ियो मे
हवालात जेल मे था
ऐसी थी
रानी घमंडी
आज भी
अपरोक्ष आपातकाल है
सत्ता कितना भी
देश को खा ले
जैसे मन करे दबा ले
इनके लिए कोई सज़ा नहीं
बस मज़ा है
क्यूकी ये दल नहीं दलदल है
भ्रष्टाचार का महल है
डायन के वंसजो से
उम्मीद भी क्या रखे
जनता के जिस्म मे दाँत गड़ाएंगे
बूंद बूंद पी जाएंगे
वो थी अब ये है
रानी घमंडी
: शशिप्रकाश सैनी
Bilkul sach kaha hai,
ReplyDeleteye dal nahi daldal hai.
ये देश का दुर्भाग्य है
Deleteजिस पटरी मे कभी सरदार पटेल और लाल बहादुर शास्त्री हुआ करते थे
आज चोर डकैतो का अड्डा है
पैन सिंह के शब्द एक दम सही थे
"डकैत तो संसद मे होते है "
*पार्टी
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