राजमाता सत्ता की
नाफरमानी रानी से
कुछ तो सीखिये दिल्ली की
कहानी से
जिसे सर झुकना आता नहीं
रानी को वो भाता नहीं
हुक्म पे तामिल हो
मै राजमाता सत्ता की
मेरी बात ना हो अनसुनी
मै राजमाता सत्ता की
जिसको जब चाहे गिरा दू
पद पे सारे बिठा दू
मै बंदरी और बंदरा
दे के सारे हाथों में
उस्तरा
हुक्म ये चलाइए मन हो जिस
तरह
इस तरह या उस तरह
मेरी भरनी चाहिए जेब
चाहे हो जिस तरह
हुक्म पे तामिल हो
मै राजमाता सत्ता की
कितने बड़े खिलाड़ी है
कितने चतुर है
जनता के दुःख पे आसूं
पर सत्ता से रिश्ते मधुर है
साथी सत्ता के सबसे चतुर है
साथ उनके है
और अलग दिखलाना भी है
चासनी भी चाटनी है
और चिल्लाना भी है
: शशिप्रकाश सैनी
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