बीवी लाए हो दासी नहीं





न नौकर न बावर्ची
न कोई सामान लाए हो
ध्यान से देखो
डोलीं में
तुम भी इंसान लाए हो


जैसे तुम्हारे सपने है
उसकी भी इच्छाएं है
पुरुषत्व का ढोल न पीटो
टटोलो मन उसका समझदार बनो
सिर्फ जिम्मेदारीया ना गिनाओ
थोड़ा तुम भी जिम्मेदार बनो


दकियानूसी शक्कीमिजाज़ हो जाओगे
तो दिल से दूर पाओगे
अपने रिश्तों को अहमियत दोगे
उसके नातो को खाजाओगे
अपने लिए खुशी उसको उदासी
बीवी लाए हो या दासी  


दीवारों में खिड़कियां रहने दो
मंगल जो सूत्र है उसे बेडियां न करो
रिश्तों में जगह रहने दो
हवा पानी बरसात मिले
रात से दूर रखो
धूप मिले सुबह रहने दो
प्रेम बीज पौधा होजाए
कल को फूल दे खुश्बू दे


रिश्तों में इतनी समझ रहे
एक के आँसू पे दूसरा कैसे पनपे
कर्तव्य अधिकार बराबरी के रहे
सिर्फ उसे ना झुकाओ
खुद भी झुको
सिर्फ अपनी न गिनाओ
उसकी भी मजबूरियां समझो


बंधुआ मजदुर
कोई नौकर नहीं है वो
जैसे अपने घर के तुम चिराग हो
वैसे बड़े नाज़ों से पली है
माँ बाप की पलकों पे चली है
वो भी अपने घर की परी है


तुम वकील डॉक्टर इंजीनियर
उसकी डिग्री बस दीवार की सोभा
पसीना बहा
रात जगी है
मेहनत इतनी जो की है
तब डिग्री मिली है
डिग्री उसकी दीवारों से उतरने दो
पंख उसके भी है
उसे उड़ान भरने दो
घर को पिंजरा न करो

: शशिप्रकाश सैनी 

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