ज़िन्दगी हर मोड़ पे इम्तेहान रही
भीड़ लोगो की लगी
कभी बियाबान रही
ज़िन्दगी हर मोड़ पे इम्तेहान रही
कभी भोर की हवाओ में
कभी रात का तूफान रही
ज़िन्दगी हर मोड़ पे इम्तेहान रही
दुश्मन करे दोस्त करे
पर सीने पे वार करे
खंजर पीठ पे
बुज़दिली की पहचान रही
ज़िन्दगी हर मोड़ पे इम्तेहान रही
: शशिप्रकाश सैनी
: शशिप्रकाश सैनी
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