धड़कने को कोई दिल्लगी दे दे
ये आग खाक करेगी ना पास लाओ इसे बस झुलसने का शौक़ मुझे ना जलाओ मुझे दर्द-ए-दिल किसी नशे से ना बहकने वाला चाहे एक घुट दो जाम पूरा मैखाना पीला दे जज्बाती आदमी हू इन्हीं जज्बातों का सिला है दिल जब भी धड़का इश्क-ए-गम मिला है जब वक्त लगाता मरहम होता है नशा कम खुदा धड़कने को कोई दिल्लगी दे दे नशा रख वही बस बोतल नयी दे दे दिन-ब-दिन पिए और दुनिया शराबी कहें इससें तो अच्छा दिल टूटे और दिल-ए-खराबी रहे : शशिप्रकाश सैनी
Kya baat kahi hai...
ReplyDeleteaastha chulha ho jati hai,
ghar chalati hai
A visit for Haridwar for inspiration?
Faith is so beautiful that makes all things possible....A deep one, Satish.
ReplyDeletedhanywaad RB and panchali ji
ReplyDelete