पहली बरसात हुई



पंख गिले है 
पहली बरसात हुई है 

धूप पसीने से तरबतर तन 
सोच भी घायल झुलसा मन
गर्मीया गर्म हवाओ में चुभन 
जख्म भरेंगे कैसे 
क्या कोई बात हुई है 
हां पंख गिले है 
पहली बरसात हुई है 

कभी प्यास से प्यासा रहा
कभी सोच से प्यासा रहा 
धूप पड़ी थी बहोत कड़ी थी
जब न हाथ में छाता रहा 
सूरज झुलसाता रहा 
कपार खुजलाता रहा 
मै सोच से प्यासा रहा 

मिट्टी की सोंधी महक ने कहा 
चिड़ियों की चहक ने कहा
बादल कड़कती बिजलीया
कोई बात हुई है  
हां घर से निकालो की 
पहली बरसात हुई है 

है भीगना है भीगना
है मुझे भी भीगना 
दिन भीगना है
भीगना पूरी रात है 
ये ना पूछिए क्या बात है
धूल सारी धुल गयी
उभरे नए जज्बात है 
ये ना पूछिए क्या बात है
बस हो रही बरसात है 
क्या बात है क्या बात है 
बस हो रही बरसात है 

: शशिप्रकाश सैनी 

You might also like:

Comments

Popular posts from this blog

इंसान रहने दो, वोटो में न गिनो

रानी घमंडी

मै फिर आऊंगा