गर्दन को मेरी अकड़न न दे
आप की बात में हौसला जो है
ये शशि नाम का पगला जो है
तारीफ सुनते ही पर आजाते
इंडीब्लोगर न होता
तो ऐसे कदरदान कहा पाते
कविताये मेरी ब्लॉग मेरा सुना था
मुझे ही लिखना था मुझे पढना था
कमेन्ट का न छुना था
कदरदान पे कदरदान
नहीं रहा मेरा ब्लॉग बियाबान
ये हौसला मेरी कलम को अकड़न न दे
गुरुर हो जाये ऐसी सडन न दे
दिमाग भरा रहे ख्यालो से
गर्दन जुकी रहे
मेरे ख्यालो को वजन दे
गर्दन को मेरी अकड़न न दे
: शशिप्रकाश सैनी
Good!!
ReplyDeletehmmm nuc one
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