आजमाइश
मेरे हौसलों को इतना आजमाया हैं
कड़कती बिजलीया बरसात
तूफान ले आया हैं
भेट या थाल में
किस्मत कुछ न लाई उपहार में
तोला हैं परखा हैं तपाया हैं
तेरे खुदा ने हर कदम पे आजमाया हैं
तब जाके हाथों में कुछ आया हैं
दो बुँदे बरसात की मुझे क्या भिगाएगी
क्या मेरा हौसला डिगाएगी
हूँ परिंदा की
उड़ने की आदत हैं
आस्मां से यूँ मोहब्बत हैं
आंधी तूफान बिजलीयो से परे
जिसकी ज़िन्दगी हो आस्मां
वो उड़ने से क्या डरे
: शशिप्रकाश सैनी
//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
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Vaaaaaaaaaaaaaaah! :)
ReplyDeleteJust loved these lines -
"है परिंदा की
उड़ने की आदत है
अस्मा से यू मोहब्बत है
आंधी तूफान बिजलीयो से परे"
धन्यवाद आकांक्षा जी
Deletewaah... bahut khoob...
ReplyDeleteyahi to zindagi hai...
parinda ban aasmaan mei udna... waah...
धन्यवाद पूजा जी
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