मै मील का पत्थर
ऐ ज़िंदगी थोड़ा चान्स दे
करने को हमे भी
थोड़ा रोमांस दे
मोहब्बत
ख्यालों कविताओ से निकले
कोई दिल हम पे भी पिघले
मै चलता कोई चाल नहीं
आँखों को भरमाए
मुझे में ऐसा कोई कमाल नहीं
बस दिल है
दिल में जज़्बात है
एक ही चाहू हज़ार नहीं
मेरे यही ख्यालात है
प्यार में इसलिए पिछड़ा हू
क्योकि इन दिनों
आँखों को जो भरमाए वही भाए
बड़ा हू बेहतर हू
पता नहीं
पर मै मील का पत्थर हू
जहाँ गडोगी वही रह जाएगा
सुन्दर है चमकदार है
जो आपकी नज़रों में हीरे है
जान लीजिए हीरे कीमत पे बिकते
जो बड़ी बोली लगाएगा
साथ ले जाएगा
बाज़ार मंडियों की शान है
हीरा बिकता है बिक जाएगा
हीरा पहनने में क्या मान है
मै मील का पत्थर हू
जहाँ गडोगी वही रह जाएगा
हीरा बिकता है बिक जाएगा
: शशिप्रकाश सैनी
kaya baat hai shashi...i hav a suggestion if u dont mind plz remove d captcha :)
ReplyDeleteशुक्रिया अल्का जी
Deleteआप की हुकुम सर आँखों पे