दाग धुले आग मे





एक नयी लौ है काँग्रेस के चिराग मे
सारे दाग जले आग मे
किसको क्या मिलना है राख़ मे
पाप धूल जाएंगे आग मे
ये सोच भी उधार की
मुंबई ईकाई ने आग दी


मुंबई दिल्ली के बाद
जयपुर हैदराबाद
इनको बहोत आग लगानी है
जब धुआ होगा तो दिखेगा
नहीं तो नज़र बचा के
फ़ाइले दबानी है
अभी तो बहुत आग लगानी है

फ़ाइले मन्नू की भी जला रहा है
क्या दादा को भी बचा रहा है
आग इसलिए लग रही है
क्यूकी कुर्सी खिसक रही है
एक आग जलने के लिए
तुम्हें निगलने के लिए
सुलग रही है
जनता जग रही है

: शशिप्रकाश सैनी

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