नाता तोडना गुनाह नहीं
साथी सफर के
जब हमसफ़र ना हो पाए
जब रहे हम हमराह नहीं
रास्ता बचा कोई दूसरा नहीं
नाता तोडना गुनाह नहीं
जब मालूम ये पड़ जाए
रिश्ता रहेगा पत्थर
होगा देवता नहीं
नाता तोडना गुनाह नहीं
इंसान गलतियों का पुतला है
कुछ तुमसे हुई
कुछ हमने की
जब और पटरी ना खाए
दुनिया के लिए क्यों तमाशा
हो जाए
साथ तो छोडो पर दिल न तोड़ो
दिल को करो ना बर्बाद दिल
मिलेगा हमराही रहे इतना
आबाद दिल
गाठे खोलो ऐसे की
कल को नज़र मिला पाए
दोस्त रहे दुश्मन न होजाए
ये ज़िंदगी के हिस्से है
मिटा ना पाओगे
किसी राह में टकराओगे
मुस्कुराना मुश्किल ना
होजाए
उसे आसान रहने दो
हाथ मिला पाए इतना मान रहने
दो
ऐ अतीत मेरे हम हमराही ना
होपाए
हमसफ़र ना होपाए
तुम भी रहो इन्सान
हमे भी इन्सान रहने दो
ज़िंदगी आसान रहने दो
:शशिप्रकाश सैनी
तुम भी रहो इन्सान
ReplyDeleteहमे भी इन्सान रहने दो
ज़िंदगी आसान रहने दो
...wah Shashi!
सराहना हेतु आभार अमित जी
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