जब भी आया आड़े आया


हाथों की लकीरों से
खेल रहा माथे से भी
किस्मत जिसको कहते हो 
जब भी आया आड़े आया 
न दफ्न अरमा न दफ्न सांसे 
न दफ्न मुझको ही कर पाया 

: शशिप्रकाश सैनी 

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