मेरे किस्से के हिस्से है
मेरे किस्से के हिस्से है
ऐ दोस्त
जो बिताई संग घडियां है
वो ज़िंदगी की कड़ियाँ है
दिल पे पहरा हो न हो
दिल में जगह रखता हू
ऐ दोस्त
तेरी दोस्ती को जिंदा रखता
हू
यादो को जवा रखता हू
जब भी सर झुकाता हू
या मंदिर जाता हू
तेरे लिए भी इल्तज़ा रखता हू
तेरे हिस्से की दुआ रखता हू
खुदा जो देता रहा मुश्किलें
हरदम
मेरा हौसला मेरी ताकत हो जाने
वाले
दोस्त भी उसने दिये साथ
निभाने वाले
: शशिप्रकाश सैनी
...nice, Shashi!
ReplyDeletedhanywaad amit ji
ReplyDeleteKya baat hai. Bahut sundar.
ReplyDeletedhanywaad Saru ji
DeleteBeautiful words!!
ReplyDeleteधन्यवाद सहर जी
DeleteWhat a tribute to friendship! So simple, ye to so beautiful :)
ReplyDeleteधन्यवाद आकांक्षा जी
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