भावनाओं का दर्पण है




कोई तरकीब कोई तरीका
कोई उदाहरण बताइए
लोग पूछते है
अपनी लेखनी का कारण बताइए
कारण से भी लिखता हू
लिखता हू अकारण भी
जब भी मन ने कही
कलम चल दी

फूलो की महक पे
चिड़ियों की चहक पे
धन ताकत जब भी करे विवश
सज्जनो का ना चले वश
लिख देता हू आग की दहक पे
जो भी सनका देती है इस कवी को
लिख देता हू हर उस सनक पे
माटी की खुशबू पे
ज़िंदगी की जुस्तजू पे
या दिल की आरजू पे

जैसे साज़ के तार छेड दो
तो वो तराने सुनाने लगती है
वैसे ही ठंडी हवा के छुने पे
मुझ में से कविता आने लगती है

काव्य मेरे सुख का साथी है
तो दुख का सहारा भी
मुझे उचाईयों पे ले गया
तो गर्क से उभारा भी
जीतनी हिम्मत इन्होने दी
उतनी कही से ना मिली

पिता के आदर्श है
माँ की लाड़ है
बहन की राखी है
बुजुर्गोँ की लाठी है
ज़िंदगी भर की सीख है
भावनाओं का दर्पण है
ये कोई काव्य संग्रह नहीं
ये तो मेरा मन है

: शाशिप्रकाश सैनी
              

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