माँ




जब कुछ नहीं कहता
तब भी समझती हैं
मेरे आसूं मेरी मुस्कान
का हर मतलब समझती हैं 
जब गिरने पे लगे चोट
या खाऊ मैं धक्का
दर्द मुझे हो आँख उसकी बरसती हैं
मैं बतलाऊ ना बतलाऊ
हैं खून का रिश्ता
मेरी माँ सब समझती हैं

प्यार स्नेह जो कह लो
उसके पास अपार हैं
जो स्नेह का भंडार हैं
दुनिया में मतलब के हैं रिश्ते बहुत सारे
कोई मांगता कम हैं, तो कोई बहुत चाहे
एक माँ की ममता हैं
देती रही हैं बस
बदले में कुछ नही चाहे

बाल मेरे झड रहे
सफेदी भी हैं कुछ
वजनदार तन का
दाड़ी भी रही पक
ममता उसकी मुझे
सबसे सुन्दर समझती हैं


: शशिप्रकाश सैनी 

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Comments

  1. bahut sundar kavita!

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  2. honestly apeaking i did not rea the post ..i kept looking at the pic for few minutes.

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  3. बेहत खुबसूरत कविता बिलकुल इस तस्वीर की तरह ....


    Jasmeet
    http://emotestar@blogspot.com
    http://kavitayenjashn.blogspot.in/

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  4. maa se badker kuchh bhi nahi ....sachi kavita

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    Replies
    1. धन्यवाद डॉ अर्चना जी

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