माँ
जब
कुछ नहीं कहता
तब
भी समझती हैं
मेरे
आसूं मेरी मुस्कान
का
हर मतलब समझती हैं
जब गिरने पे लगे चोट
जब गिरने पे लगे चोट
या
खाऊ मैं धक्का
दर्द
मुझे हो आँख उसकी बरसती हैं
मैं बतलाऊ ना बतलाऊ
हैं खून का रिश्ता
मेरी
माँ सब समझती हैं
प्यार
स्नेह जो कह लो
उसके
पास अपार हैं
जो
स्नेह का भंडार हैं
दुनिया
में मतलब के हैं रिश्ते बहुत सारे
कोई
मांगता कम हैं, तो कोई बहुत चाहे
एक
माँ की ममता हैं
देती
रही हैं बस
बदले
में कुछ नही चाहे
बाल
मेरे झड रहे
सफेदी
भी हैं कुछ
वजनदार
तन का
दाड़ी भी रही पक
ममता
उसकी मुझे
सबसे
सुन्दर समझती हैं
It's actually very lovely..!!
ReplyDeletebahut sundar kavita!
ReplyDeletehonestly apeaking i did not rea the post ..i kept looking at the pic for few minutes.
ReplyDeleteधन्यवाद अल्का जी
DeleteGreat!!
ReplyDeleteधन्यवाद Saher ji
Deleteबेहत खुबसूरत कविता बिलकुल इस तस्वीर की तरह ....
ReplyDeleteJasmeet
http://emotestar@blogspot.com
http://kavitayenjashn.blogspot.in/
maa se badker kuchh bhi nahi ....sachi kavita
ReplyDeleteधन्यवाद डॉ अर्चना जी
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