किस्मत है खफा




किस्मत है खफा 
क्या मेरी खता
जख्मो के सिवा 
कुछ  भी  न मिला
पत्थर कर दिया 
दिल जो था मेरा 
सपने न कोई 
न इच्छा कोई

माटी  है माटी  है माटी  है
अरमा  माटी  कर चला 

: शशिप्रकाश सैनी

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