आग पेट्रोल में लगा के
मैडम जी
१० जनपथ की राजशाही से बाहर
आइए
युवराज बिटिया दामाद को भी
लाईए
टूरिस्ट न बनाइए
दो निवाले एक रात नहीं
पूरा हफ्ता बिताइए
चार पैसे पसीना बहा कमाइए
१ लीटर पेट्रोल गाड़ी में डलवाइए
क्या बचता है बताइए
गर आपसे सरकारी ठाठ छीन ले
राजवंश का राज छीन ले
दिल्ली की गर्मी दे
मुंबई की बरसात दे
बनारस की धूल
चेन्नई की उमस
फिर जानियेगा आम आदमी कितना
बेबस
आटा दाल से उलझे
या मुन्ना की फीस से सुलझे
मन मार के जीता है
खून खौल जाता है
जब सरकारी मच्छर खून पीता
है
3 जी 2 जी
देश
का है धन जानता का है
उन्ही
से बतमीजी
अब
कोयला भी खाइयेगा जी
ये भी खूब चाल तेल की
खुद बडाईयेगा
आग पेट्रोल में लगा के
गुहार
अपनी ही कटपुतली से लगाइयेगा
गरीब के दर्द पे
घड़ियाली आसू बहाइएगा
: शशिप्रकाश सैनी
Very nice..:-)
ReplyDeleteBahut khoob, Petrol is Aam Aadmi's fuel, because bikes run on petrol
ReplyDeletedhnaywaad
DeleteVery well written..Falling in love with your poetry!
ReplyDeleteआकांक्षा जी
Deleteआपकी बात से दिल गद गद हो गया
सराहना हेतु आभार
भावनाओ को शब्दों में फिरोता हू
आपकी हर आह वाह पे
जीता हू मरता हू
तालियों में जान है बसी
और मै सन्नाटे से डरता हू
मै कवी हू बस कविता करता हू
Vaah, kya kehne aapke
DeleteKavitao me bhavnaaye pirote ho
Har shabd se dil ko choote ho
Vaah, kya kehne aapke
Aapke paas ye hunar anokha hai
Aksharon ka jaise ek mela hai