गोद में मोहना धरें






गोद में मोहना धरें, शहर रही है घूम
न मंदिर न मस्जिद रहे , मानवता की धूम
मानवता की धूम, दिल से दिल मिलने लगे 
रूप सबका एक सा , चेहरें प्रीत रंग रंगें 
बातो में मिश्री घूले , बचे कोई ना भेद 
यशोदा या हिना रहे , प्यारी माँ की गोद 




: शशिप्रकाश सैनी

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