शाम का सूरज है वो कोई पड़ता काम भी नहीं
शाम
का सूरज है वो कोई पड़ता काम भी नहीं
मतलब
निकल गया है कोई दुआ सलाम भी नहीं
उनका
ही नहीं खबर रखते थे पुरे खादान की
शोहरत
की इमारत बची नहीं जहन में नाम भी नहीं
मतलब
की यारी पैसे से मोहब्बत यही फितरत
बटुए
की बिगड़ी हालत पे कोई पैगाम भी नहीं
सत्ता
का नशा है मदहोश है नेता तेवर बिगड चुके
न
धर्म न जात फिजूल मुद्दों में बटी आवाम भी नहीं
उसके
सामने जाम का नशा था कम “सैनी”
उसके
बगैर कोई शाम शाम भी नहीं
:
शशिप्रकाश सैनी
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