ओ बादल बूंदें बरसाना
वो ठंडी पवन का झोंका था
जो तूने हमको रोका था
वो सावन की बरसातें थी
सोंधी सोंधी सी बाते थी
छोटी मोटी जो अनबन थी
बिजली की फिर जो गर्जन थी
तेरा बाहों में आजाना
नज़रों का जो वो टकराना
ओ बादल बूंदें बरसाना
इतना अब तू तरसा ना
कब मिलना बतला जाना
ओ बादल बूंदें बरसाना
अब तक यादो में ताज़ी है
होठो का जो था टकराना
बाहों में आना
घुलते जाना
अब तक यादे ताज़ी है
तेरा आना तेरा जाना
आँखों में जो प्यार भरा
लफ्जों से कर इज़हार जरा
सब कुछ मैंने है बोल दिया
तू भी कुछ बतला जाना
अब तू इतना तरसा ना
या तो आना
या तो जाना
ओ बादल बूंदें बरसाना
Nice and simple, yet poignant lines, and aptly timed too, Shashiji.
ReplyDeleteBahut sunder, Shashi!
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति ||
ReplyDeletecharchamanch.blogspot.com
धन्यवाद सुभोरूप जी, अमित जी, राजीव जी और रविकर जी
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