मिल जाए कोई कवयित्री


इस कवी को मिल जाए कोई कवयित्री
ज़िन्दगी हो जाए जैसे कोई पोएट्री 
वो करे कविता हम कहे शायरी 
बस यू ही भरती जाए जिंदगी की डायरी


उनके आने से लय ताल होजाए 
जीना भी फिर कमाल होजाए 
मै वीर रस वो श्रृंगार रस 
प्रेम बढ़े बरस दर बरस 


हम हो जाए दोहा तुम हो जाओ ग़ज़ल
हम तुम्हे सुने तुम हमें प्रेम हो जाए सफल 
हम कहे काफिया तुम जोड़ो रदीफ़
ग़ज़ल हो जाएगी पूरी तुम आओ तो करीब


हम बेबहर से
हमे बाबहर करो
हम कविता कर लेते है 
तुम ग़ज़ल करो 


कोई कवियत्री कोई शायरा मिले तो बताना 
एक कवी दिल टटोलता है 
इस आश में कही मिल जाए ठिकाना 


: शशिप्रकाश सैनी


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Comments

  1. Very beautiful poem Shashi....and thank you so much for the wonderful poem you had written for my painting(Together till the End)....I am really honoured.By the way I am also from UP(Saharanpur)

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