मयखाने की हवा हूँ मैं
ये ना पूछिए क्या हूँ मैं
हैं दुनिया बेवफ़ाई की
तो बावफ़ा हू मैं
गम-ए-इश्क का मरहम हूँ
लोग कहते दिल-ए-दर्द की दावा हूँ मैं
मेरी सीढियाँ करती हैं जात पात नहीं
ये किसी धर्म की मोहताज नहीं
कभी मयखाने की हवा हूँ मैं
कभी बोतलों का नशा हूँ मैं
कभी बोतलों का नशा हूँ मैं
ये मेरे चाहने वाले हैं, खरीदार नहीं
मै लोगो में डालता दीवार नहीं
मेरे कदरदानो से पूछिए
क्या क्या हूँ मैं
कहते हैं इस शहर का खुदा हूँ मैं
कहते हैं इस शहर का खुदा हूँ मैं
:शशिप्रकाश सैनी
//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
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...phir se ek bahut sunder rachna, Shashi!
ReplyDeleteI'm scheduled to visit Benaras next month. Wish to see you then. Plz mail me your phone no. if you can spare some time. Thanks!
dhanywaad amit ji
ReplyDeleteeven i wish to meet u but as i m doing mba in bhu
our xams ends on 23rd april after that i have to do internship so going for that in mumbai