प्रेम ना पचा पाए
इश्क मोहब्बत प्यार
सब चंद अल्फाज़ है
हकीकत नहीं है
हम उनके दिल में नहीं
वो अब हमारे दिल में नहीं
है
असिमित थी दुनिया
हम होना चाहते थे सिमित
उस एक को मन में बसाए
होजाए मनमीत
प्रीत हर किसीको नहीं जचती
जो प्रेम ना पचा पाए
उसके लिए क्या आसू बहाए
गुनाह था प्यार करना जिसको
हम गुनहगार होगए
फिर क्यों नहीं
इसके लिए भी लिखे
उसके लिए भी जी
एक यही तो हुनर है
फिर क्यों ना लिखे जी
: शशिप्रकाश सैनी
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