मै अकेला रह नहीं पाता


मैं अकेला रह नहीं पाता तेरे ख्याल आते हैं
अंधेरे कमरों में उम्मीद के जुगुनू टिमटिमाते हैं
रौशनी चुभने लगी है आँखों में, कोई बुझा दे ये दियें

मेरे छुने से लोग पत्थर हो जाते हैं
भावनाए नहीं बचती
संवदेनाएं मर जाती हैं
मेरे छुने से लोग पत्थर हो जाते हैं

मैं अभिशाप होने लगा हूँ
तुम वरदान ही अच्छी
छुओ न मुझे
आओ न करीब
दुनिया में वरदान बहोत कम

अभिशाप बहोत ज्यादा हैं  

: शशिप्रकाश सैनी

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