किसी साज का न साथ झंकार हम नहीं
चुभती रही कानों में वो आवाज हम रहे किसी साज का न साथ झंकार हम नहीं --------------------------------------------- कौन जिंदा है कौन मर गया होगा इस भागती भीड़ को क्या पता होगा ? यह महानगर है यहाँ कोई किसी का नहीं ---------------------------------------- नई सुबह के इंतजार में अंधियारे से कब तक लड़ना चढ़ती सांसें, घटती हिम्मत मरना जीना, जीना मरना कितने ख्वाब हकीकत होते? कितनों को पैबंद मिली ? नई सुबह के इंतजार में कितनों ने है दम तोड़ा कितनों को है कैद मिली फिर भी धड़के थोड़ा-थोड़ा : शशिप्रकाश सैनी