नई सुबह के लिए


न यहाँ के हैं
न वहाँ के हैं 
न जाने बने है 
हम किस जगह के लिए


दिल धड़काए हम जितना
कोई सुनने वाला नहीं
अब और भी धड़के 
तो किस वजह के लिए


थक गया हूँ बहोत 
थोड़ा सोने दो 
जागना है मुझे 
नई सुबह के लिए


: शशिप्रकाश सैनी

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