Flyover प्रेम


आज बहोत थका हुआ था, सोना चाहता था अभी भी आंखों में नींद है, पर एक बार फिर से शकरपूर फ्लाईओवर पे बैठा हूँ और घड़ी बता रही है कि पांच बजने को है। लगता है यह
फ्लाईओवर हमारे प्यार में पड़ गया है देखिए जबरदस्ती मुझे बुला लिया, बिजली कटवा कर हद है। बड़े वक्त से तमन्ना थी कोई हमारे प्यार में पड़े हम किसी के प्यार में पड़े, पर यह तो भगवान ने हद ही कर दी, कोई लड़की नहीं बची थी क्या? सीधे फ्लाईओवर को हमारे इश्क़ में डाल दिया। भगवान न हुआ कपिल शर्मा हो गया बात बात पर मजाक, आपको दर्शक बना दिया मेरी जिंदगी को "Comedy Life with God"।


हाँ माना हम सब उसकी कठपुतलियां हैं पर इसका मतलब यह नहीं कि पूरी फिल्म में मुझसे Comedy sequence ही कराए जा रहे, यार कुछ Romantic scene डाल देते कुछ Stunt type, Stunt type इसलिए कि जो हमारा आकार है उस हिसाब से हम सिर्फ खाने या सोने के साथ Stunt कर सकते हैं, सोने से याद आया चार-पाँच Bedroom scene भी डाल दो, प्लीज भगवान अब तो दाढ़ी भी पकने लगी है कब डालोगे Bedroom scene। उम्र बीती जा रही है और चंद्रगुप्त ने भी हमारी script में बस comedy लिखी, अइसा है गुरु जल्दी से
script में फेरबदल करो और Romance वगैरह लिखो नहीं तो याद रखना हम भी Writer हैं जब ऊपर आएंगे तो दो दो हाथ निश्चित है।


कल हम जब इस फ्लाईओवर से वापस जा रहे तो हमने देखा कुछ बच्चे नीचे से गुजरती रेल पर पत्थर मार रहे हैं, हम पास गए डांट लगाई फिर समझाया। समझाने का असर तो नहीं हुआ होगा पर डांट ने तो असर दिखाया ही, वैसे भी हमारे जैसा डकैत टाइप आदमी जब डांटे तो फट के चौराहा होना बड़ी बात नहीं है, बच्चे भी सकपका गए और दोराहे में से एक राह पकड़ कर चुपचाप निकल लिए।


अब आते हैं मुद्दे पर मतलब आज का फ्लाईओवर ज्ञान, जब आदमी ऊंचाई पर पहुंच कर नीचे से गुजरने वालों पर पत्थर मारता हो, तो वह दिमागी तौर पर बच्चा ही हुआ ना, साफ़ दिल वाला बच्चा नहीं, बचकानी हरकतों वाला ऊदंड टाइप बच्चा। ऐसे कई बचकाने लोगों लगभग हर क्षेत्र में मठाधीश बने बैठे हैं और उनका एक ही काम है नए लोगों को पत्थर मार मार कर ऊपर चढ़ने से रोकना। मैं यह नहीं कह रहा यहाँ सभी लोग ऐसे हैं अच्छे लोग भी हैं पर वो इक्के दुक्के ही है, कलयुग हैं ना हरामीपना बहुमत में चल रहा है। आदमी थोड़ी ऊंचाई पर क्या पहुंच जाता है, वो यह भूल जाता है कि उसके ऊपर भी कोई है और राह चलते लोगों को पत्थर मारता अपनी मनमानी करने लगता है।


कितना भी बड़ा मठाधीश क्यों न हो उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि सबसे ऊपर परम पिता परमेश्वर है, उसने सबकी script तैयार रखी है। अब तक मेरी script में सिर्फ comedy और tragedy आई तो मुझे लगा क्या सिर्फ यहीं लिख रखा है पूरी उम्र के लिए, पर यह तो कोई भी नहीं जानता अगला scene क्या होगा वह सिर्फ परमेश्वर जानता है, हो सकता आने वाले scenes, Success और Romance से भरे हो । ऊंचाई से पत्थर मारने वाला हर आदमी समझ लें कि रेल हमेशा नीचे से नहीं गुजरेगी यह भी कभी ना कभी ऊंचाई पर आएगी तब उनका क्या हश्र होगा, मठाधीश पौधों की धूप न खाए, वह यह याद रखें नए पौधे जब पेड़ बनते है तो राह में आने वाली इमारत तक को गिरा देते हैं।


: शशिप्रकाश सैनी

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