जिंदगी तमन्नाओं का शिकार हो गई
जिंदगी तमन्नाओं का शिकार हो गई
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कितनी बार मुस्काना पड़ा
दर्द अपना छिपाना पड़ा
आंसुओं पे हँसने वालों से
मरहम की उम्मीद भी क्या रखे
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हर मोड़ मुखौटे बैठे हैं
हर रस्ते पर बाधा है
दुनिया के ढोंग पिटारे में
धक्कम धक्का ज्यादा है
: शशिप्रकाश सैनी
कितनी बार मुस्काना पड़ा
ReplyDeleteदर्द अपना छिपाना पड़ा
आंसुओं पे हँसने वालों से
मरहम की उम्मीद भी क्या रखे
सुंदर प्रस्तुति।।
धन्यवाद अंकुर जी
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