अंधकार घोर अंधकार
प्रत्यक्ष क्या है अंधकार घोर अंधकार, पर संसार कहेगा अंधकार कहा है, सुबह हो चुकी है, चिड़ियों की चहक सुनो वो भी प्रकाश पर्व मना रही हैं।
हाँ मैं मानता हूँ सुबह हो चुकी है, पर अंधकार तो है, यह मेरा अंधकार है ये आपके अंधकार से अलग है, जग के सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती यहाँ, मैं उस भटके हुए यात्री की भाँति हूँ जिसे दिशा भ्रम हो चला है, और जब तक मुझे मेरी सही दिशा नहीं मिलेगी तब तक संसार का कोई प्रकाश स्रोत मेरा अंधकार दूर नहीं कर सकता, अंधेरा अंदर है तो उजाला भी अंदर से ही आना होगा ।
: शशिप्रकाश सैनी
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