हमसे कोई पाप ना हुआ
कहते हैं मोहब्बत एक से हो हमे हज़ार से होने लगे गलती बताइए अब हर एक को देख हम खोने लगे कोई हुस्न की मलिका कोई अदाओ की रानी कुछ नयी तो कुछ पुरानी चंचल मदमस्त जवानी फिर क्यों न दिल बरगलाए खुदा ने हुस्न दिया सारी तोहमत हमी पे आए दुनिया हसीनो से भरी हम देखे भी ना हम नज़र भी ना मिलाए हमने कभी की कविता कभी कर दी शायरी इससे ज़्यादा हम से कोई पाप ना हुआ दिल मासूम था कोई अपराध ना हुआ : शशिप्रकाश सैनी