This post has been published by me as a part of the Blog-a-Ton 41 ; the forty-first edition of the online marathon of Bloggers; where we decide and we write. To be part of the next edition, visit and start following Blog-a-Ton . The theme for the month is "SWEET AND SOUR" चार चवन्नी पाई जब सेठ चाल लहराई तब न मिलता न मैं बात करूँ दुनिया पैरों लात धरू एक रूपये में चार मिले हर नुक्कड़ पे यार मिले गोली खट्टी मीठी वो स्वादो का संसार मिले खट्टा मीठा स्वाद लिए खट्टी मीठी याद लिए बचपन की वो यारी सब जेबों को प्यारी जब मम्मी ने मना किया एक अठन्नी देती ना सड़क राह में लोटे थे आंसू मोटे मोटे थे हाफ नीकर वाले हम थे रूपया कम था वक्त बहुत नारंगी खिचातानी में बहना संग था सख्त बहुत जब पैसों का अम्बार हुआ समय नहीं इस बार हुआ अब न लडते बहना से न यारों में हम सेठ बने पिज्जा बर्गर कोला मैं सब से जा के बोला चाहे जितने पैसे ले मुझको वो स्वाद चखा दे ...
This post has been published by me as a part of the Blog-a-Ton 40 ; the fortieth edition of the online marathon of Bloggers; where we decide and we write. To be part of the next edition, visit and start following Blog-a-Ton . The theme for the month is "MAKE A WISH" रात स्वप्न में , प्रभु थे खड़े बोले मांगो वत्स क्या मांगते हो जमीं चाहते हो या आसमां चाहते हो बड़ी गाडी , बड़ा घर , नोटों की गट्ठर या सत्ता सुख कुर्सी से हो कर जो चाहो अभी दे दूँ एक नयी ज़िन्दगी दे दूँ मैंने माँगा तो क्या माँगा एक बेंच पुरानीं सी वो पीछे वाली मेरे स्कूल की चाहिए मुझे वो बचपन के ज़माने दोस्त पुराने मदन के डोसे पे टूटना चेतन का वो टिफिन लूटना अपना टिफिन बचाने में टीचर क्लास सभी को भूले हम मस्त थे खाना खाने में मुझे वो होली चाहिए ओ एन जी सी कॉलोनी चाहिए वो ठंडाई वाली ट्रक वो लड़कपन की सनक एक दुसरे का फाड़ते हम कुर्ता अनिल मेरे दोस्त ये वक़्त क्यों नहीं मुड़ता गुरप्रीत के घर वाला रास्ता मेरा टूयूशन मेर...
that is a nice one, really liked it
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना
ReplyDeleteकम शब्दों में सटीक संवदेना
emotional
ReplyDeleteधन्यवाद चिराग जी
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