छन्न पकैया , मेहनत की हैं रोटी

छन्न पकैया , छन्न पकैया , मेहनत की हैं रोटी,
कहने को युवराज हैं, लेकिन बाते छोटी-छोटी ||१||


छन्न पकैया, छन्न पकैया , खूब बड़ी महंगाई
कुर्सी पे हाकिम जो बैठा , शुतुरमुर्ग हैं भाई ||२||


छन्न पकैया, छन्न पकैया , आँखों पे हैं चश्मे
पुत्र मोह में पुत्री मारे , कितनी घटिया रस्में ||३||


छन्न पकैया, छन्न पकैया , मिलें कंधो से कंधे 
छूत अछूत हैं बीती बातें, सब उसके ही बन्दे ||४||


छन्न पकैया, छन्न पकैया, बच्चे खेल न पाते
बड्डपन की दीवारों ने हरसू , बाट दिए अहाते ||५||


छन्न पकैया, छन्न पकैया, भट्टी तपता सोना 
माँ मेरी घर मेरे आई, रोशन कोना-कोना ||६||


छन्न पकैया, छन्न पकैया, निश्चित बुढ़ापा आना 
जोशे जवानी में तुम न, बजुर्गो की हंसीं उड़ना||७||


छन्न पकैया, छन्न पकैया, मस्त कोलावेरी गाना 
कानो ने सुना अगर तो , तय होठो पे आना ||८||


छन्न पकैया, छन्न पकैया, जहा दीपिका जाए 
छोटा माल्या आगे पीछे, लट्टू होता जाए ||९||


छन्न पकैया, छन्न पकैया, गम ही हिस्से आता
चेहरे के सब हाव भाव ही, स्पर्श मेरा ले जाता ||१०||




: शशिप्रकाश सैनी

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