बात दिल की दिलों में दबी रह गई

बात दिलों की दिलों में दबी रह गई
ज़िंदगी में तुम्हारी कमी रह गई

उसने जलाया भी नहीं उसने बुझाया भी नहीं
मोहब्बत आग ऐसी आत्मा अधजली रह गई

जब तक पत्थर था तो मंदिर का देवता
हीरा हुआ हाय कीमत मातमी रह गई

पड़ोस की खुबसूरती जब खिडकियों पे आये
जन्नत जमी हुई साँसे रुकी की रुकी रह गई

याद उसकी अब तक हैं सीने में “सैनी”
चेहरा दिल में आँखों में नमी रह गई

: शशिप्रकाश सैनी


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