कोयलिया जब गाती हैं
चल झूठ रूठना है तेरा
आंखें सब बतलाती है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
आँखों से अब ना आस गिरा
बातों पे रख विश्वास जरा
जाने दे मत रोक मुझें
सर पे दुनियां दारी है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
न तू भूलीं न मैं भुला
जब झूलें थे सावन झूला
मौसम अब के बरसातीं है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
चलतें थे तट पे साथ प्रिये
नटखट हाथों में हाथ प्रिये
लहरें तब भी आती थी
लहरें अब भी आती है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
तू कितनीं है दूर बड़ी
है कैसी ये मजबूर घड़ी
सपनोँ में तू जब आती है
मुझकों बड़ा सताती है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
: शशिप्रकाश सैनी
//मेरा पहला काव्य संग्रह
सामर्थ्य
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चल झूठ रूठना है तेरा
ReplyDeleteआंखें सब बतलातीं है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
सब कह दिया आपने।
धन्यवाद इंदु जी
DeleteAre wah sir apto bahut hi umda poem likhte ho.....
ReplyDeleteThis is the best one with the best pictrequeness !!!
ReplyDeletetu kitni door badi wah !!!!!
Thnx Rahul
Deletevery beautiful poem..
ReplyDeletehttp://www.meapoet.in/
धन्यवाद मधुसूदन जी
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