ये आग खाक करेगी ना पास लाओ इसे बस झुलसने का शौक़ मुझे ना जलाओ मुझे दर्द-ए-दिल किसी नशे से ना बहकने वाला चाहे एक घुट दो जाम पूरा मैखाना पीला दे जज्बाती आदमी हू इन्हीं जज्बातों का सिला है दिल जब भी धड़का इश्क-ए-गम मिला है जब वक्त लगाता मरहम होता है नशा कम खुदा धड़कने को कोई दिल्लगी दे दे नशा रख वही बस बोतल नयी दे दे दिन-ब-दिन पिए और दुनिया शराबी कहें इससें तो अच्छा दिल टूटे और दिल-ए-खराबी रहे : शशिप्रकाश सैनी
EMI से दबी हैं Petrol से जली हैं Inflation हैं डेली Salary Monthly हैं घुट घुट के मै Suffer करू और कितना मै जी सबर करू खाना दाना सभी सब कुछ लगे हीरे मोती नगीने से Salary मेरी लड़ न पाती महीने से हफ्ते पहले गुजर गई तिनका तिनका बिखर गई चाहतो की चिता जली जिंदगी धुए से भर गई हर महीने वही है आंसू वही Tragedy हैं Salary Monthly हैं Salary मेरी लड़ न पाती महीने से खून नस में जो बहता कहता बहते पसीने से क्यों नहीं तू लड़ता लड़ता पुरे महीने से लड़ लड़ के जब मै पार हुआ कुछ रुपया जब तैयार हुआ बारह(12) बजते दाम बढे हम लुट गए घर पे पड़े पड़े Salary ने भी दम तोड़ा Savings हुई कुर्बान अब तो लगता Inflation ले कर रहेगा जान : शशिप्रकाश सैनी
एके सादा कोई कपड़ा ना समझा ए गुरू हम लोगन की शान ई गमछा है गुरू माथे पे बांधी जब तो ताज बनी गले में लिपटा के जो निकले तो आवाज बनी सर पर रक्खा, जो मैंने गमछा तो पहाड़ तोड़ लिए कमर पर बांधा, जो मैंने गमछा तो राहे मोड़ लिए कभी मफलर, कभी मास्क कभी रूमाल बनी जेठ की लू जो चली ये सर की ढाल बनी कमर में लिपटा ली तो इज्जत आदर ये बनी गर थक कर कहीं लेटे तो बिछोना चादर ये बनी : शशिप्रकाश सैनी
that is a nice one, really liked it
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना
ReplyDeleteकम शब्दों में सटीक संवदेना
emotional
ReplyDeleteधन्यवाद चिराग जी
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